केंद्रीय संचार ब्यूरो

केंद्रीय संचार ब्यूरो

अधिक जानकारी के लिए कृपया वेबसाइट देखें

केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) की स्थापना 8 दिसंबर, 2017 को पूर्ववर्ती विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी), क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय (डीएफपी) और गीत एवं नाटक प्रभाग (एसएंडडीडी) को एकीकृत करके की गई थी। इस ब्यूरो का उद्देश्य मंत्रालयों/विभागों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू)/स्वायत्त निकायों को 360 डिग्री संचार समाधान उपलब्ध कराना है। यह मीडिया रणनीति पर सरकार के लिए एक सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करता है। 23 क्षेत्रीय आउटरीच ब्यूरो (आरओबी) और 148 फील्ड आउटरीच ब्यूरो (एफओबी) के साथ, सीबीसी ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लोगों को सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में शिक्षित करने के कार्य में लीन है ताकि विकासात्मक कार्यकलापों में उनकी भागीदारी बढ़ाई जा सके। यह ब्यूरो संचार के विभिन्न माध्यमों जैसे प्रिंट मीडिया विज्ञापन, ऑडियो विजुअल अभियान, प्रदर्शनियों के माध्यम से प्रसार, आउटडोर अभियान और न्यू मीडिया आदि का उपयोग करता है।

सीबीसी सरकार को लोगों के सशक्तिकरण के प्रमुख प्रदाता के रूप में ब्रांडिंग करने और प्रिंट, ऑडियो-विजुअल, आउटडोर, डिजिटल मीडिया के माध्यम से संदेशों को प्रसारित करने हेतु अधिदेशित है। सूचना प्रसार की पहुंच को अधिकतम करने के लिए नीतिगत दिशानिर्देशों का तालमेल उभरते मीडिया परिदृश्य के साथ बिठाया गया है।

सीबीसी का विज्ञापन और दृश्य संचार प्रभाग (पूर्ववर्ती डीएवीपी) भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और स्वायत्त निकायों की विभिन्न स्कीमों और नीतियों के बारे में सूचना के प्रसार के लिए सीबीसी का नोडल प्रभाग है।

यह संचार के उपलब्ध माध्यमों अर्थात प्रिंट, ऑडियो विजुअल, आउटडोर, डिजिटल और न्यू मीडिया के माध्यम से ग्रामीण और शहरी लोगों को सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में सूचित और शिक्षित करने के लिए अभियान चलाता है।

सीबीसी का लोक संचार प्रभाग नाटक, नृत्य-नाटिका, समग्र-कार्यक्रम, कठपुतली, बैले, ओपेरा, लोक और पारंपरिक गायन, पौराणिक गायन और अन्य स्थानीय लोक और पारंपरिक रूपों जैसी प्रदर्शन कलाओं की विस्तृत श्रृंखला का उपयोग करके लाइव मीडिया के माध्यम से इंटर-पर्सनल संचार करता है, जिससे सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और स्कीमों की पहुँच अधिकतम हो जाती है। इसका मुख्य कार्य जागरूकता पैदा करना और अपनेपन तथा स्वामित्व की भावना के साथ भावनात्मक जुड़ाव सुनिश्चित करना है।

क्षेत्रीय संचार प्रभाग जनता के बीच खास तौर पर ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रत्यक्ष और इंटर-पर्सनल संचार कार्यक्रम चलाता है। क्षेत्रीय आउटरीच ब्यूरो (आरओबी) और फील्ड आउटरीच ब्यूरो (एफओबी) तदनुसार लोगों को सूचना के माध्यम से सशक्त बनाने का प्रयास करते हैं ताकि वे ऐसे कार्यक्रमों/योजनाओं से लाभ उठा सकें। यह जमीनी सक्रियता और आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करता है। विशेष आउटरीच कार्यक्रम (एसओपी) विभिन्न हितधारकों जैसे राज्य सरकार और स्थानीय पदाधिकारियों, समाज के समूहों आदि के सहयोग से आयोजित किए जाते हैं। चूंकि ये स्थानीय भाषा में होते हैं और आस-पास के स्थानों पर होते हैं, इसलिए इन संचार कार्यक्रमों का प्रभाव अधिक होता है और इससे जनता के बीच सरकार की स्कीमों की बेहतर समझ बनती है। इन प्रयासों को पारंपरिक और लोक मीडिया और अन्य पारंपरिक और गैर-पारंपरिक तरीकों के उपयोग से बढ़ावा दिया जाता है।