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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिसंबर, 2020 में, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत चार फिल्म मीडिया यूनिटों, अर्थात् फिल्म प्रभाग (एफडी), फिल्म समारोह निदेशालय (डीएफएफ), राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय (एनएफएआई) और बाल चित्र समिति, भारत (सीएफएसआई) को एनएफडीसी के संगम के ज्ञापन का विस्तार करके राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम लिमिटेड (एनएफडीसी) में विलय करने का निर्णय लिया था, जो समन्वय, कार्यकलापों में तालमेल और संसाधनों के बेहतर उपयोग को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उनके द्वारा अब तक किए जाने वाले सभी कार्यकलापों को पूरा करेगा। तदनुसार, सभी चार फिल्म मीडिया इकाइयों के कार्यकलापों [सार्वजनिक सेवा जागरूकता (पीएसए) फिल्मों से संबंधित कार्यकलापों को छोड़कर, जिन्हें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को सौंपा गया है] को एनएफडीसी को हस्तांतरित कर दिया गया है। ये चार फिल्म युनिटें 01.01.2023 से बंद हो गई हैं।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने वृत्तचित्रों और लघु फिल्मों के निर्माण, फिल्म समारोहों के आयोजन और फिल्मों के संरक्षण का कार्य मंत्रालय के अधीन कार्यरत सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम अर्थात राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) को सौंप दिया है। इन सभी कार्यकलापों को एक ही प्रबंधन के तहत लाने से विभिन्न गतिविधियों का ओवरलैप कम होगा और सार्वजनिक संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा। फीचर फिल्मों के निर्माण का कार्य एनएफडीसी द्वारा पहले से ही किया जा रहा है। यह फीचर फिल्मों, वृत्तचित्रों, बाल फिल्मों और एनीमेशन फिल्मों सहित सभी शैलियों की फिल्मों के निर्माण; विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समारोहों में भागीदारी और विभिन्न घरेलू समारोहों के आयोजन के माध्यम से फिल्मों का प्रचार; फिल्म सामग्री का संरक्षण, फिल्मों का डिजिटलीकरण और रेस्टोरेशन; और वितरण तथा लोकसंपर्क कार्यकलाप को बढ़ावा प्रोत्साहन मिलेगा। हालाँकि, इन यूनिटों के पास उपलब्ध परिसंपत्तियों का स्वामित्व भारत सरकार के पास रहेगा।
एनएफडीसी-एनएफएआई का उद्देश्य राष्ट्रीय सिनेमाई विरासत की खोज करना, उसे हासिल करना और संरक्षित करना तथा साथ ही भावी पीढ़ी के लिए विश्व सिनेमा का प्रतिनिधि संग्रह करना; फिल्मों से संबंधित आंकड़ों को वर्गीकृत और दस्तावेज करना, सिनेमा पर अनुसंधान करना और उसे प्रोत्साहित करना, देश में फिल्म संस्कृति के प्रसार के लिए केंद्र के रूप में कार्य करना है।
चार दशकों से अधिक के अनुभव के साथ दृश्य-श्रव्य विरासत के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय संरक्षक होने के नाते, एनएफएआई भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के अधिग्रहण, संरक्षण, बहाली और प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है। यह विरासत फिल्म और गैर-फिल्मी सामग्री के रूप में हो सकती है, जिसमें सेल्युलाइड फिल्में, स्थिर तस्वीरें, दीवार पोस्टर, गीत पुस्तिकाएं, पोस्टर, लॉबी कार्ड, वृत्तचित्र और वीएचएस टेप शामिल हैं, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं हैं।
एनएफएआई अक्सर न केवल भारतीय सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए बल्कि फिल्म समारोहों, सेमिनारों और कार्यशालाओं के रूप में विश्व सिनेमा को घर लाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग करता है।
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