सूचना विंग

सूचना विंग के बारे में

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सूचना विंग को विभिन्न मीडिया यूनिटों के माध्यम से विभिन्न सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के सूचना प्रसार, शिक्षा और संचार का कार्य सौंपा गया है। यहभारतीय सूचना सेवाका संवर्ग प्रबंधन,नीति निर्माण औरप्रशासनऔर मंत्रालय के विभिन्न मीडिया यूनिटों और स्वायत्त संस्थानों के साथ नीतिनियोजन औरसमन्वय का कार्य भी करता है।

सूचना विंग संचार के विभिन्न तरीकों के माध्यम से सरकार की प्रमुख नीतिगत पहलों पर सूचना के प्रसार और बेहतर पहुंच और प्रभाव के लिए विभिन्न मीडिया अभियानों को एकीकृत कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह प्रिंट मीडिया के विकास को सुगम बनाने और इसकी पहुंच में सुधार लाने के लिए आवश्यक नीतियां भी तैयार करता है। सूचना विंग के इस प्रयास को मंत्रालय के अधीन निम्नलिखित मीडिया यूनिटों की सहायता से प्राप्त किया जाता है

संचार

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जनता तक पहुंचने में भारत सरकार का चेहरा है। सरकारी नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्रसारित करने का महत्वपूर्ण कार्य मीडिया इकाइयों के माध्यम से किया जाता है। केंद्रीय संचार ब्यूरो (CBC), प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) और न्यू मीडिया विंग (NMW)। सूचना विंग इच्छित लाभार्थियों के लिए इन योजनाओं के लाभों को अधिकतम करने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के माध्यम से भारत सरकार की नीतियों और गतिविधियों के बारे में जानकारी के प्रसार और जागरूकता पैदा करने के लिए जिम्मेदार है। मंत्रालय प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, आउटडोर और डिजिटल प्लेटफार्मों में सरकारी विज्ञापनों और अभियानों के पैनलीकरण, दर निर्धारण आदि के लिए नीति दिशानिर्देश तैयार करता है। विंग प्रेस और आवधिक पंजीकरण अधिनियम, 2023 और प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 जैसे कानूनों का भी प्रबंधन करता है।

इसके अलावा, सूचना विंग के तहत प्रकाशन प्रभाग, भारत सरकार के एक प्रमुख प्रकाशन गृह के रूप में कार्य करता है और देश की प्राचीन विरासत को संरक्षित करने और अपने लोगों की भूमि के गुणवत्तापूर्ण प्रकाशनों के माध्यम से अपनी ताकत दिखाने के लिए राष्ट्रीय ज्ञान भंडार को समृद्ध करता है।

संचार समाधान- सीबीसी

केंद्रीय संचार ब्यूरो

केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) को मंत्रालय द्वारा 08.12.2017 को विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी), फील्ड प्रचार निदेशालय (डीएफपी)और गीत और नाटक प्रभाग (एस एंडडीड)की पूर्ववर्ती मीडिया यूनिटों को मिलाकर, इन संगठनों के बीच तालमेल औरएकीकृत दृष्टिकोण रखने,संसाधनों और कार्यबल का बेहतर उपयोग करने और हरराज्य और हर जिले में जनता तक बेहतर सूचनाएँ पहुंचाने के उद्देश्यकेसाथ,बनाया गया था। सीबीसी में दिल्ली मुख्यालय सहित 23 प्रादेषिक कार्यालयऔर 148 क्षेत्रीयकार्यालय शामिल हैं।

सीबीसीनाटक, नृत्य-नाटक, संयुक्त कार्यक्रमों, कठपुतली,बैले,ओपेरा,लोक औरपारंपरिक गायन, पौराणिक गायन और अन्य स्थानीय लोक और पारंपरिक रूपों,जैसेव्यापक प्रदर्शन कलाओं का उपयोग करके सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों काप्रचार करके लाइव मीडिया के माध्यम से मुख्यालय स्तर पर मंत्रालय/विभागोंऔर सरकारी संगठनों और प्रादेशिक और क्षेत्रीय स्तर पर पारस्परिक संचार कीसंचार आवश्यकताओं का ध्यान रखता है।

सीबीसी प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया,डिजिटल मीडिया, आउटडोर प्रचार, लाइव प्रदर्शन और कलाआदि के माध्यम से भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के लिएमल्टीमीडिया विज्ञापन और प्रचार करता है। सीबीसी एक सेवा एजेंसी के रूप मेंकार्य करता है और केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की ओर सेजमीनी स्तर पर सूचना प्रदान करता है।

Website : https://cbcindia.gov.in/  

मीडिया सुविधा- पीआईबी

पत्र सूचना कार्यालय

पत्र सूचना कार्यालय(पीआईबी) सरकारी नीतियों, कार्यक्रमों, पहलों और उपलब्धियों पर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर सूचना प्रसारित करने के लिए भारत सरकार की नोडल एजेंसी है । यह सरकार और मीडिया के बीच एक इंटरफेस के रूप में कार्य करता है और मीडिया में परिलक्षित लोगों की प्रतिक्रिया पर सरकार को फीडबैक भी प्रदान करता है।

पीआईबी के तहत फोटो प्रभाग के लिए भारत सरकार के विभिन्न कार्यकलापों की फोटो कवरेज के माध्यम से विजुअल सहायता प्रदान करना अधिदेशित है। अक्टूबर 1959 में स्थापित, यह शायद देश का एकमात्र ऐसा संगठन है जिसके पास स्वतंत्रता-पूर्व युग से लेकर आज तक डिजिटल प्रारूप में संरक्षित लगभग 10 लाख से अधिक निगेटिव/ट्रांसपेरेन्सी का समृद्ध भंडार है। इस प्रकार फोटो प्रभागस्थिर फोटोग्राफ के निर्माण और संग्रहण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो अत्यधिक ऐतिहासिक मूल्य के हैं।

वेबसाइट: https://pib.gov.in/indexd.aspx 

न्यू मीडिया

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत संबद्ध कार्यालय, नामत: न्यू मीडिया विंग के प्रशासनिक कार्यों को मंत्रालय में न्यू मीडिया सेल देखता है। अनुसंधान, संदर्भ और प्रशिक्षण प्रभाग (आरआरएंडटीडी), जिसकी स्थापना वर्ष 1945 में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के एक संबद्ध कार्यालय के रूप में की गई थी, का नाम वर्ष 2013 में बदलकर न्यू मीडिया विंग (एनएमडब्ल्यू) कर दिया गया। यह सूचना और प्रसारण मंत्रालय के लिए सूचना प्रदान करने वाली और उसका प्रसार करने वाली यूनिट के रूप में कार्य करता है। एनएमडब्ल्यू धारणा प्रबंधन, विभिन्न प्लेटफार्मों पर संचार को एकीकृत करने, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और भाषाई विविधता के अनुरूप संदेश सृजन से संबंधित कार्य करता है। इसकी स्थापना सूचना और प्रसारण मंत्रालय के विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अर्थात् फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि के माध्यम से सरकार की पहल/नीतियों के प्रसार के लिए की गई है। एनएमडब्ल्यू का उद्देश्य विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से सरकार की नीतियों/कार्यक्रमों/पहलों/अभियानों का प्रभावी रूप से सोशल मीडिया पर प्रचार करना है।

एनएमडब्ल्यू विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर सरकार की प्रोफ़ाइल को एकीकृत करता है। यह सोशल प्लेटफॉर्मों पर संचार को एकीकृत करने, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक, भाषाई विविधता के अनुरूप संदेश बनाने से संबंधित कार्य करता है। एनएमडब्ल्यू का उद्देश्य सभी प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में सोशल मीडिया के माध्यम का उपयोग करने वाले नागरिकों के साथ सरकार की उपस्थिति और प्रत्यक्ष रूप से संपर्क को सक्षम करना है। यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर समकालीन विकास, ट्रेंड्स को ट्रैक करता है और तदनुसार सरकार की प्रतिक्रिया की रणनीति बनाता है। एनएमडब्ल्यू अपने टूल इंटीग्रेटिड डैशबोर्ड (संवाद) की मदद से विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से प्राप्त फीडबैक को लेकर और उसकी जांच कर नागरिक केंद्रित शासन को भी बढ़ावा देता है।

केंद्रीय सेक्टर स्कीम - विकास, संचार और सूचना प्रसार (डीसीआईडी) का एक हिस्सा - सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एनएमडब्ल्यू द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। इस स्कीम के अंतर्गत, दो परियोजनाएं - सोशल मीडिया एक्टिविटीज और इंटीग्रेटिड डैशबोर्ड (संवाद) कार्यान्वित की जा रही हैं।

न्यू मीडिया विंग के कार्यों में प्रचालन के दो प्राथमिक क्षेत्र - सामान्य रूप से भारत सरकार और विशेष रूप से सूचना और प्रसारण मंत्रालय के लिए सोशल/डिजिटल मीडिया आउटरीच शामिल हैं। यह मीडिया के विचारों और राय का फीडबैक और विश्लेषण भी प्रदान करता है। एनएमडब्लयू का उद्देश्य विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल जैसे फेसबुक पर @inbministry, ट्विटर पर @MIB_India और @MIB_Hindi, यूट्यूब पर @inbministry, इंस्टाग्राम पर @MIB_India और टेलीग्राम पर @MIB_India के माध्यम से सरकार की नीतियों/कार्यक्रमों/पहलों/अभियानों का प्रभावी सोशल मीडिया प्रचार करना है। यह वीडियो, ग्राफिक्स, ऑनलाइन प्रतियोगिताओं और महत्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रमों की लाइव कवरेज के माध्यम से दर्शकों से संवाद करता है।

एनएमडब्ल्यू की महत्वपूर्ण गतिविधियां हैं:

  • कोविड-19 जागरूकता अभियान' (#IndiaFightsCorona) - कोविड-19 के आंकड़े यथा दी गई वैक्सीन की खुराक और जांचे गए नमूने, रोकथाम के दिशानिर्देश, मिथक और तथ्य, तथा कोविड उपयुक्त व्यवहार समर्पित ट्विटर हैंडल @COVIDNewsByMIB (#IndiaFightsCorona) से पोस्ट किए गए हैं।
  • 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के लिए- 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के लिए, अभियान के शुभारंभ के बाद से, स्वतंत्रता सेनानियों, विस्मृत नेताओं और भारत के स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं से संबंधित 3000 से अधिक क्रिएटिव (वीडियो और ग्राफिक्स सहित) सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर साझा किए गए हैं।
  • स्वच्छ भारत मिशन
  • पोषण अभियान
  • एक भारत श्रेष्ठ भारत
  • नारी शक्ति
  • 53वां आईएफएफआई
  • पद्म पुरस्कार
  • राष्ट्रीय खेल पुरस्कार
भारतीय प्रेस परिषद

भारतीय प्रेस परिषद(पीसीआई) एक वैधानिक अर्ध-न्यायिक स्वायत्त संस्था है जिसे संसद द्वारा प्रेस की स्वतंत्रता को संरक्षित करने और भारत में समाचार पत्रों और समाचार एजेंसियों के मानकों को बनाए रखने और सुधारने के दोहरे उद्देश्य के लिए अधिदेशित किया गया है। भारतीय प्रेस परिषदप्रेस कर्मियों तथाप्राधिकारियों पर अपनीअर्ध-न्यायिक शक्तियों का प्रयोग करती है।इसमें एक अध्यक्ष और 28 सदस्य होते हैं।

परंपरा के अनुसार,अध्यक्ष,भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होते रहे हैं, 28 सदस्यों में से 20 प्रेस के विभिन्न प्रतिनिधि और आठ संसद के दोनों सदनों के प्रतिनिधि (3 लोक सभा और 2 राज्य सभा) और देश के प्रमुख साहित्यिक और कानूनी निकाय यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और साहित्य अकादमी से होते हैं। परिषद, प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 के अंतर्गत अपने कार्यों का संचानल केंद्र सरकार से सहायता अनुदान, समाचार पत्रों से लेवी -शुल्क और अन्य प्राप्तियों से प्राप्त धन के साथ करती है।

वेबसाइट:https://www.presscouncil.nic.in/ 

भारत के प्रेस महापंजीयक

भारत के प्रेस महापंजीयक

भारत के प्रेस महापंजीयक (पीआरजीआई, पूर्ववर्ती आरएनआई) सूचना और प्रसारण मंत्रालय का एक संबद्ध कार्यालय है जो प्रेस और नियतकालिक पत्रिका रजिस्ट्रीकरण (पीआरपी) अधिनियम, 2023 के तहत स्थापित किया गया है। पीआरजीआई का प्राथमिक कार्य पीआरपी अधिनियम, 2023 के प्रावधानों के अनुसार देश में नियतकालिक पत्रिकाओं (प्रिंट) के पंजीकरण की सुविधा प्रदान करना है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक सांविधिक प्रतिष्ठान के रूप में, पीआरजीआई भारत में प्रकाशित नियतकालिक पत्रिकाओं (प्रिंट) के विवरण के साथ रिकॉर्ड का एक रजिस्टर रखता है; उपलब्धता और शीर्षक सत्यापन दिशानिर्देशों के आधार पर नियतकालिक पत्रिकाओं को शीर्षक आवंटित करता है; उन्हें पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करता है; इन नियतकालिक पत्रिकाओं के प्रकाशकों द्वारा प्रस्तुत वार्षिक विवरण प्राप्त करता है और उनका विश्लेषण करता है; देश में समाचार पत्रों और अन्य पत्रिकाओं के मामलों की स्थिति के विवरण के साथ 'प्रेस इन इंडिया' रिपोर्ट निकालता है। पीआरजीआई प्रकाशकों से प्राप्त अनुरोधों या विशिष्ट शिकायतों और अपीलों के आधार पर पंजीकृत नियतकालिक पत्रिकाओं के प्रसार सत्यापन का कार्य भी करता है, तथा पीआरजीआई के साथ पंजीकृत नियतकालिक पत्रिकाओं के लिए अखबारी कागज के आयात हेतु स्व-घोषणा प्रमाण-पत्रों को अधिप्रमाणित करता है।

वेबसाइट : https:/ /prgi.gov.in/   

प्रकाशन विभाग

प्रकाशन विभाग राष्ट्रीय महत्व के विषयों और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को उजागर करने वाली पुस्तकों और पत्रिकाओं का भंडार है। 1941 में स्थापित, प्रकाशन प्रभाग भारत सरकार के एक प्रमुख प्रकाशन हाऊस के रूप में उभरा है। प्रकाशन विभाग का योगदान एक ओर बाजार में प्रतिस्पर्धा करने वाले एक अद्वितीय प्रकाशन हाऊस और दूसरी ओर एक अग्रणी सरकारी संगठन होने के रूप में बेहद महत्वपूर्ण है। प्रकाशन विभाग ने उन दिनों में क्लासिक कार्यों को प्रकाशित करने में अग्रणी भूमिका निभाई जब भारतीय प्रकाशन उद्योग बिल्कुल नया था और मीडिया की पहुंच सीमित थी। महात्मा गांधी के जीवन और विचारों पर आधारित पुस्तकें प्रभाग के लिए गौरव का विषय हैं। प्रकाशन विभाग ने गांधीवादी विचारों पर, अंग्रेजी में 100 खंडों में कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी (सी.डब्ल्यू.एम.जी.) और हिंदी में संपूर्ण गांधी वांग्मय सहित अनेक किताबें प्रकाशित की हैं, जिन्हें गांधीजी के लेखन का सबसे व्यापक और प्रामाणिक संग्रह माना जाता है।

इस विभाग को प्रकाशकों के बीच विश्वसनीयता प्राप्त है और यह सामग्री की प्रामाणिकता और प्रकाशनों की किफायती कीमत के लिए जाना जाता है। प्रकाशन विभाग ने, गुजरात विद्यापीठ के सहयोग से और प्रमुख गांधीवादी विद्वानों की देखरेख में, महात्मा गांधी के संग्रहित कार्यों (ई-सी.डब्ल्यू.एम.जी.) का ई-संस्करण भी तैयार किया है, जो डी.वी.डी. के डिज़ाइन किए गए सेट में पूरी तरह से सर्चेबल मास्टर कॉपी है।

यह चिरस्मरणीय कार्य महात्मा गांधी के लिखित शब्दों को स्थायी और टेम्पर-प्रूफ इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में संरक्षित कर राष्ट्रीय विरासत में एक स्थायी योगदान है। ई-सी.डब्ल्यू.एम.जी. को गांधी हेरिटेज पोर्टल पर भी होस्ट किया गया है, जो प्रामाणिक गांधीवादी साहित्य का एक व्यापक भंडार है। अधिकाधिक गांधीवादी टाइटल प्राप्त करने के लिए प्रयास जारी हैं। प्रकाशन विभाग अपनी सामग्री को और अधिक समृद्ध और विविधतापूर्ण बनाने तथा अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, प्रकाशन विभाग प्रतिष्ठित संस्थानों, गांधीवादी संगठनों और सार्वजनिक पाठकों को समृद्ध करने के समान उद्देश्यों के लिए काम करने वाले प्रतिष्ठित प्रकाशकों के साथ साझेदारी की व्यवस्था करने के लिए सावधानीपूर्वक प्रयास कर रहा है ।

प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय में अपने सहयोगी संगठनों के साथ भी इसी तरह की व्यवस्था कर रहा है। इस तरह की साझेदारियों ने परिणाम देना शुरू कर दिया है और प्रकाशन विभाग को गांधीवादी विचार, कला, संस्कृति, सिनेमा और राष्ट्रीय विरासत के अन्य पहलुओं के क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण प्रकाशनों से समृद्ध किया जा रहा है ।

पुस्तकों के अलावा, प्रकाशन विभाग 18 मासिक पत्रिकाएँ भी प्रकाशित करता है, जिसमें अंग्रेजी, हिंदी और 11 अन्य भाषाओं में योजना, कुरूक्षेत्र (अंग्रेजी और हिंदी), बाल भारती (हिंदी) और आजकल (हिंदी और उर्दू) शामिल हैं। इन पत्रिकाओं के पाठकों की संख्या बहुत अधिक है और जनता के बीच इनकी काफी विश्वसनीयता भी है। ये पत्रिकाएँ आर्थिक विकास, ग्रामीण पुनर्निर्माण, सामुदायिक विकास, साहित्य, संस्कृति, बाल साहित्य और रोजगार तथा कैरियर के अवसरों पर जानकारी जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में सरकार की पहलों और देश की प्रगति को दर्शाती हैं।

योजना, 1957 से प्रकाशित प्रकाशन विभाग की प्रमुख पत्रिका है, जिसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों तक नियोजित विकास का संदेश पहुंचाना है और यह विकास के सामाजिक-आर्थिक पहलुओं पर विभिन्न वर्गों के विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाली स्वस्थ चर्चा को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करती है । 1952 से अंग्रेजी और हिंदी में प्रकाशित होने वाली 'कुरुक्षेत्र' ग्रामीण विकास के मुद्दों को समर्पित एक अनूठी मासिक पत्रिका है। हिंदी में बच्चों की लोकप्रिय मासिक पत्रिका बाल भारती 1948 से नियमित रूप से प्रकाशित हो रही है। इसका उद्देश्य बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ स्वस्थ मनोरंजन भी प्रदान करना है। 1945 से हिंदी और 1942 से उर्दू में प्रकाशित होने वाली प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका आजकल कई विशेष अंक निकालती है तथा भारतीय संस्कृति और साहित्य के विभिन्न पहलुओं को शामिल करती है।

प्रकाशन विभाग के प्रमुख महानिदेशक (डीजी) हैं, जिनकी सहायता संपादकीय, व्यवसाय, उत्पादन, आई.टी. और प्रकाशन विभाग और रोजगार समाचार के प्रमुख, निदेशक स्तर के अधिकारी करते हैं। प्रकाशन विभाग का मुख्यालय सूचना भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में है और यह नई दिल्ली (मुख्यालय), दिल्ली (पुराना सचिवालय), मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, पटना, लखनऊ, हैदराबाद और तिरुवनंतपुरम में अपने विभिन्न बिक्री एम्पोरिया और नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, गुवाहाटी, हैदराबाद, तिरुवनंतपुरम और बेंगलुरु में योजना कार्यालयों के माध्यम से कार्य करता है।

भारतीय जन संचार संस्थान

भारतीय जन संचार संस्थान (आई.आई.एम.सी.), जो कि सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 (1860 का XXI) के तहत पंजीकृत है, को 17 अगस्त, 1965 को स्थापित किया गया । इस संस्थान की स्थापना पत्रकारिता, मीडिया और जनसंचार के क्षेत्र में शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान के मूल उद्देश्य के साथ की गई थी। आई.आई.एम.सी. का मुख्यालय नई दिल्ली में है और इसके 05 क्षेत्रीय कैंपस महाराष्ट्र, मिजोरम, केरल, ओडिशा और जम्मू और कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र में स्थित हैं ।

आई.आई.एम.सी. को उसके पांच क्षेत्रीय कैंपस के साथ 31.01.2024 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सलाह पर शिक्षा मंत्रालय द्वारा समविश्वविद्यालय संस्थान के रूप में अधिसूचित किया गया है ।

आई.आई.एम.सी. आधुनिक समय में तेजी से बढ़ते और बदलते मीडिया उद्योग की विविध और बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई विशेष पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है। भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के अलावा, संस्थान प्रिंट पत्रकारिता (अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, उड़िया, मराठी और मलयालम), रेडियो और टीवी पत्रकारिता तथा विज्ञापन और जनसंपर्क में कई स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करता है।

यह संस्थान एशियाई, अफ्रीकी, लैटिन अमेरिकी और पूर्वी यूरोपीय देशों के मिड-लेवल वर्किंग पत्रकारों के लिए विकास पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी संचालित करता है, जो कोलंबो योजना स्कीम के आई.टी.ई.सी., एस.सी.ए.ए.पी. और टी.सी.एस. के तहत विदेश मंत्रालय द्वारा प्रायोजित है। केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों में विभिन्न मीडिया, प्रचार और प्रचालनत्मक संगठनों में काम करने वाले संचार पेशेवरों के प्रशिक्षण की निरंतर बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक सप्ताह से लेकर चार सप्ताह तक की समयावधि के कई विशेष अल्पकालिक पाठ्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

यह संस्थान न केवल भारत की, बल्कि अन्य विकासशील देशों की आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त सूचना संरचना के निर्माण और सुदृढ़ीकरण में योगदान देने के लिए लगातार प्रयासरत है। आई.आई.एम.सी. केंद्र और राज्य सरकारों, सी.पी.एस.यू., विश्वविद्यालयों आदि से प्राप्त अनुरोधों पर अन्य संस्थानों को अपनी विशेषज्ञता और परामर्श सेवाएं प्रदान करता है।